NationPoliticsRegional NewsStateUncategorized

“धरती पुत्र की याद में — समाजवादी आदर्शों का पुनः स्मरण”

आज सुबह सैफई में अखिलेश यादव, उनकी पत्नी डिंपल यादव, चाचा शिवपाल यादव एवं अन्य परिवारजन, समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए। उन्होंने मुलायम सिंह की समाधि पर पुष्प चक्र अर्पित किए, शांतिवृत्ति एवं श्राद्ध कार्यक्रम किए और समाजवादी विचारधारा को आगे ले जाने का संकल्प लिया।

अखिलेश ने मीडिया से कहा कि नेताजी ने “धरती से लड़ाई लड़ते हुए, धरती से ही समाज को दिशा दिखाने” की शिक्षा दी। वे यह वचन देते हैं कि समाजवादी मूल्यों और सिद्धांतों को और व्यापकता से आगे बढ़ाया जाएगा।

शिवपाल भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे और उन्होंने मुलायम की जनता और किसानों के लिए किए गए कार्यों की याद दिलाई। पार्टी के कई अन्य नेताओं, यद्यपि यूपी के बाहर से भी, श्रद्धांजलि देने पहुँचे।

समाजवादी पार्टी ने इस दिन को “श्रद्धांजलि दिवस” की तरह मनाया — कार्यक्रमों में समाजवादी विचारधारा, सामाजिक न्याय, कृषि, युवा मुद्दों पर चर्चा हुई। समर्थकों ने मंचों पर नेताजी के जीवन के उन संघर्षों को याद किया, जो उन्हें “जनता का नेता” बनाते हैं।


भावनाएँ और राजनीति का संगम

श्रद्धांजलि कार्यक्रम सिर्फ एक भावनात्मक अवसर नहीं था — यह राजनीति के लिए भी संदेश था। यूपी की राजनीति में समाजवादी पार्टी आज भी नेताजी की विरासत को आधार मानने की कोशिश करती है।
अखिलेश इस दिन यह दिखाना चाहते हैं कि वे पिता की राह पर चल रहे हैं — न सिर्फ शब्दों में, बल्कि कर्मों में भी।

उसी समय, यह मौका विरोधी दलों के लिए यह कहने का भी अवसर बनता है कि “जननेता” के पद की गरिमा, जनता की आस्था क्या होती है। कई बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या अन्य राजनीतिक चेहरे भी श्रद्धांजलि देते हुए नजर आते हैं — यह दिखाता है कि मुलायम सिंह की पहुंच और प्रभाव राजनीति से परे था।


निष्ठा और आगे की चुनौतियाँ

श्रद्धांजलि के समय अक्सर यह प्रश्न उभरता है: क्या विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी सही तरीके से निभाई जाए रही है?

  • समाजवादी विचारधारा को बदलते समय और जनता की बदलती अपेक्षाओं के लिए कैसे अनुकूल बनाया जाए?
  • विधान सभा, लोकसभा तथा स्थानीय स्तर पर नेताजी की विचारधारा का असर कैसे बनाए रखे?
  • पार्टी के भीतर विभाजन और मतभेदों को कैसे सुलझाया जाए, ताकि आज के समय की राजनीति में सामंजस्य बना रहे?

आज की श्रद्धांजलि न केवल यादों का टीका है, बल्कि एक राजनीतिक और नैतिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है — कि मुलायम सिंह की धरती पुत्र की पहचान न केवल इतिहास में रहे, बल्कि वर्तमान राजनीति में ज़िंदा हो।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *