मोतिहारी — गांधी नगर: “भव्य और दिव्य” बनाने का खाका तैयार — राधा मोहन सिंह

मोतिहारी, जो कि चंपारण सत्याग्रह की पावन धरती है और महात्मा गांधी के संघर्ष की ओर से चिह्नित है, अब एक नए युग में “भव्य एवं दिव्य” रूप में पुनरुत्थान की ओर अग्रसर है। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता राधा मोहन सिंह ने हाल ही में घोषणा की है कि मोतिहारी को नए विकास आयामों से जोड़ते हुए इसे आधुनिक सुविधाओं, सौंदर्य, सांस्कृतिक गौरव और पर्यावरण सम्मिलन की दृष्टि से रूप देना है।
विकास की रूपरेखा: योजनाएँ और पहल
राधा मोहन सिंह ने बताया कि “मोतिहारी — गांधी नगर” के रूप में इस शहर को इतिहास और आधुनिकता की संगम भूमि बनाना है। इसके लिए उन्होंने एक विस्तृत खाका (blueprint) तैयार किया है, जिसमें निम्न प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
- प्रवेश द्वार एवं स्मृति द्वार निर्माण
मोतिहारी के विभिन्न प्रवेश बिंदुओं पर महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा और स्मृति द्वार स्थापित किए जाने की योजना है। इस कदम से शहर का पहला प्रभाव (first impression) और उद्घाटन रूप दोनों भूषण पाएँगे। - सड़क एवं परिवहन अवसंरचना
— एनएच 28A के छतौनी एवं अवधेश चौक पर फ्लाईओवर निर्माण
— एनएच 27 फोर लेन के साथ अतिरिक्त सर्विस लेन और नालों का निर्माण
— भीड़ एवं जाम की समस्या कम करने हेतु मार्गों का पुनरनिर्धारण
— सड़कों की मरम्मत, फुटपाथ एवं ज़ोनल आपातकालीन मार्गों का विकास - शहरी सौंदर्यीकरण और हरित क्षेत्र विस्तार
— मुख्य सड़कों और मार्गों पर लैंडस्केपिंग, बगीचे व फुलवाड़ी
— वृक्षारोपण अभियानों का विस्तार
— सार्वजनिक पार्क, पेड़ संरक्षित क्षेत्र और वाटर बॉडी हेतु सुधार
— सड़क किनारे प्रकाश व्यवस्था एवं लाइटिंग डिजाइन - स्वच्छता एवं जल आपूर्ति सुधार
— जल स्रोतों का संरक्षण और नियमित स्वच्छता
— प्लांटों के नवीनीकरण और अपग्रेडेशन
— नालों की सफाई, जल निकासी एवं अधोसंरचना सुधार
— कूड़ेदान, कचरा प्रबंधन और पुनर्चक्रण सुविधाएँ - शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण
— स्कूल, कॉलेज और तकनीकी संस्थानों के निर्माण या विस्तार
— अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में नए उपकरण, वेंटिलेशन, लैब संरचनाएँ
— वृद्धाश्रम, वरिष्ठ नागरिक केंद्र, महिला और बाल कल्याण योजनाएँ
— रोजगार एवं कौशल विकास कार्यक्रम - सांस्कृतिक आयोजन, पर्यटन एवं धरोहर संरक्षण
— गांधी स्मृति स्थलों का संवर्धन
— वार्षिक महोत्सव, सांस्कृतिक नाट्य, संगीत और नृत्य कार्यक्रम
— संग्रहालय, सूचना केंद्र, पर्यटन पथ संकेत और गाइडिंग सुविधाएं
— स्थानीय हस्तशिल्प, कला एवं संस्कृति को बढ़ावा - ग्रामीण समावेशन और कृषि विकास
— आसपास के गांवों को शहर से जोड़ने वाली संपर्क मार्ग
— सिंचाई एवं कृषि उपकरणों की व्यवस्था
— किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम, मंडी सुधार एवं मूल्य संवर्द्धन
— महिला स्व-सहायता समूह एवं ग्रामीण उद्योग
राधा मोहन सिंह की भूमिका एवं दृष्टिकोण
राधा मोहन सिंह ने यह स्पष्ट किया है कि उनकी यह पहल “वोट के लिए नहीं, मोतिहारी के गौरव के लिए” है। उन्होंने कहा कि वह इस धरती से संबंधित हैं, और उनका संकल्प है कि मोतिहारी की शान बढ़े।
उनका मानना है कि विकास सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि जीवन की गुणवत्ता, नागरिक सुविधा, प्रकृति संतुलन और सांस्कृतिक पहचान का समन्वय भी ज़रूरी है।
वे विभिन्न योजनाओं के शिलान्यास व उद्घाटन के अवसर लेते रहे हैं, और स्थानीय किसानों, युवाओं, महिलाओं व सामाजिक संस्थाओं से संवादों के माध्यम से योजनाओं को धरातल पर उतरने का प्रयास कर रहे हैं।
चुनौतियाँ और आगे की राह
इस खाका को साकार करने के लिए कई चुनौतियाँ हैं:
- अपर्याप्त बजट — जितनी योजनाएँ प्रस्तावित हैं, उन्हें क्रियान्वित करने के लिए पर्याप्त संसाधन एवं वित्तीय समर्थन चाहिए।
- समन्वय और कार्यान्वयन — विभिन्न विभागों, नगर निकायों और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय अनिवार्य है।
- रियल-टाइम निगरानी और टिकाऊ रखरखाव — एक बार निर्माण हो जाने के बाद उसकी देखरेख और रखरखाव सुनिश्चित करना आवश्यक है।
- जनभागीदारी — जनता की सक्रिय भागीदारी, पारदर्शिता और प्रतिक्रिया प्रणाली योजनाओं को सफल बनाएगी।
- पारिस्थितिकी संतुलन — विकास करते समय हरित क्षेत्र, जल निकासी और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी प्राथमिकता होनी चाहिए।
निष्कर्ष
“मोतिहारी — गांधी नगर” की अवधारणा न सिर्फ एक शब्द नहीं है बल्कि एक प्रतिज्ञा है — इतिहास से जुड़े इस पावन स्थल को आधुनिकता, सौंदर्य और सांस्कृतिक गौरव के साथ स्थापित करना। राधा मोहन सिंह का यह खाका यदि सफलतापूर्वक लागू हो जाए, तो मोतिहारी न केवल बिहार के मानचित्र पर बल्कि देश के विकसित और पहचानयुक्त शहरों में शामिल हो सकता है।
