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सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI)

  • RTI अधिनियम, 2005 भारत में नागरिकों को पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने हेतु सशक्त करने वाला एक ऐतिहासिक कानून है।
  • इसे लोकतंत्र के “सूचनात्मक अधिकार” (Informational Democracy) के स्तंभ के रूप में देखा जाता है।

  • कैसे RTI नागरिक सशक्तिकरण करता है?
    • भ्रष्टाचार को उजागर करना
    • नीतियों के कार्यान्वयन की निगरानी
    • लोक सेवाओं में सुधार
  • RTI की चुनौतियाँ:
    • जानकारी देने में देरी
    • PIOs की कमी और प्रशिक्षण की कमी
    • आयोगों में लंबित मामले
    • गोपनीयता बनाम पारदर्शिता का टकराव (जैसे आधार, डेटा संरक्षण आदि)

प्रासंगिक उदाहरण :

  • RTI के माध्यम से आदर्श हाउसिंग घोटाले और कॉमनवेल्थ घोटाले जैसे मामलों का खुलासा हुआ।
  • कई सामाजिक कार्यकर्ताओं (जैसे अरविंद केजरीवाल, नितिन सतरदेकर, शेखर सिंह) द्वारा RTI के जरिए जवाबदेही लाई गई।

:

  • RTI को प्रभावी बनाने के लिए आयोगों की स्वायत्तता बनाए रखना आवश्यक है।
  • डिजिटल RTI पोर्टल को ग्राम स्तर तक सुलभ बनाना चाहिए।
  • RTI को लोक प्रशासन में सुधार के उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि केवल सूचना प्राप्त करने के माध्यम के रूप में।

💡 RTI

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