शेयर मार्केट में Dow Theory कैसे काम करती है? ट्रेंड रिवर्सल का अनुमान ऐसे लगाया जाता है
शेयर मार्केट में Dow Theory कैसे काम करती है? ट्रेंड रिवर्सल का अनुमान ऐसे लगाया जाता है
शेयर बाजार में निवेश करना एक कल्पना से अधिक है, और यहां विभिन्न निवेशकों को नए और विशिष्ट विधाओं का उपयोग करने की जरूरत होती है। इसी में से एक है Dow Theory, जो शेयर मार्केट में ट्रेंड रिवर्सल की भविष्यवाणी करने के लिए प्रयोग की जाती है।
Dow Theory का उत्पत्ति:
Dow Theory का नाम चार्ल्स हेनरी डाव और उनके साथी एडवर्ड जोंस के नाम पर रखा गया है। यह थ्योरी उनके द्वारा लिखी गई सामग्री पर आधारित है, जो उन्होंने 1900 के दशक में प्रकाशित की थी। इस थ्योरी का मुख्य उद्देश्य शेयर बाजार के मूल्यों की दिशा और मूल्य चाल को विश्लेषण करना है।
कैसे काम करती है Dow Theory:
ट्रेंड के अनुसार दिशा निर्धारण: Dow Theory के अनुसार, शेयर बाजार के मूल्यों का अध्ययन करके निवेशक ट्रेंड की दिशा को निर्धारित करते हैं। ट्रेंड को तीन प्रमुख तत्वों के आधार पर निर्धारित किया जाता है: प्रारंभिक ट्रेंड, दोष और उम्मीदवार ट्रेंड।
वॉल्यूम के माध्यम से पुष्टि: Dow Theory में वॉल्यूम का महत्वपूर्ण स्थान है। उच्च वॉल्यूम ट्रेंड की पुष्टि करता है, जबकि कम वॉल्यूम एक अस्थिर बाजार का संकेत हो सकता है।
अनुभव के आधार पर विश्लेषण: Dow Theory में, अनुभवी विश्लेषक शेयर बाजार के मूल्यों को अपने अनुभव के आधार पर विश्लेषण करते हैं। यह उन्हें ट्रेंड की सत्यता को निर्धारित करने में मदद करता है।
इस प्रकार, Dow Theory शेयर मार्केट में ट्रेंड रिवर्सल का अनुमान लगाने में मदद करती है। यह एक प्रमुख और प्रसिद्ध विश्लेषण उपकरण है जो निवेशकों को बाजार की गतिशीलता को समझने में सहायक होता है।