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पुष्पक: इसरो का पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 22 मार्च, 2024 को “पुष्पक” नामक पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन (आरएलवी) से जुड़े अपने तीसरे मिशन को सफलतापूर्वक आयोजित किया। प्रक्षेपण लगभग 7 बजे कर्नाटक के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में चलाकेरे रनवे से हुआ। ).

मिशन के उद्देश्य
पुष्पक मिशन का प्राथमिक उद्देश्य पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों का विकास करना है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष तक कम लागत में पहुंच को सक्षम बनाना है। यह मिशन अंतरिक्ष मिशन की लागत को कम करने और अंतरिक्ष मलबे को कम करने के लिए इसरो के चल रहे प्रयासों का हिस्सा है।

लॉन्च विवरण
पुष्पक आरएलवी को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर द्वारा लगभग 4.5 किमी की ऊंचाई तक ले जाया गया और पूर्व निर्धारित पिलबॉक्स मापदंडों को प्राप्त करने के बाद छोड़ा गया। लॉन्च वाहन स्वचालित रूप से रनवे के पास पहुंचा, क्रॉस-रेंज सुधार किया, और अपने ब्रेक पैराशूट, लैंडिंग गियर ब्रेक और नोज व्हील स्टीयरिंग सिस्टम का उपयोग करके सटीक रूप से उतरा।

मिशन का महत्व
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पुष्पक प्रक्षेपण यान के महत्व पर जोर देते हुए इसे अंतरिक्ष पहुंच को और अधिक किफायती बनाने का भारत का साहसिक प्रयास बताया। पुन: प्रयोज्य ऊपरी चरण, जिसमें महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स हैं, संभावित रूप से कक्षा में उपग्रहों को ईंधन भरने या नवीनीकरण के लिए उपग्रहों की पुनर्प्राप्ति को सक्षम कर सकता है।

आरएलवी-टीडी: एक तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण परियोजना
पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान – प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (आरएलवी-टीडी) इसरो की सबसे तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। इसका उद्देश्य पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का विकास करना है। आरएलवी-टीडी का कॉन्फ़िगरेशन लॉन्च वाहन और विमान दोनों की जटिलताओं को जोड़ता है, जो हाइपरसोनिक उड़ान, स्वायत्त लैंडिंग और संचालित क्रूज़ उड़ान समेत विभिन्न प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन करने के लिए उड़ान परीक्षण बिस्तर के रूप में कार्य करता है।

डिज़ाइन और कॉन्फ़िगरेशन
पुष्पक आरएलवी को एक पूर्ण-रॉकेट, पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य सिंगल-स्टेज-टू-ऑर्बिट (एसएसटीओ) वाहन के रूप में डिजाइन किया गया है। इसमें उन्नत प्रौद्योगिकी प्रदर्शकों जैसे एक्स-33, एक्स-34 परीक्षण स्थल और उन्नत डीसी-एक्सए उड़ान प्रदर्शक के कई प्रमुख तत्व शामिल हैं। वाहन में एक धड़, एक नाक की टोपी, डबल डेल्टा पंख, जुड़वां ऊर्ध्वाधर पूंछ और एलिवन्स और रूडर नामक सक्रिय नियंत्रण सतहें हैं।

पिछले मिशन और भविष्य की योजनाएँ
इसरो ने पिछले आरएलवी मिशनों को 2016 और पिछले वर्ष अप्रैल में सफलतापूर्वक संचालित किया था। संगठन ने आरएलवी-टीडी को भारत के पुन: प्रयोज्य दो-चरणीय कक्षीय प्रक्षेपण यान का पहला चरण बनाने की कल्पना की है।

लागत एवं नामकरण
रामायण में पौराणिक अंतरिक्ष यान के नाम पर पुष्पक परियोजना की लागत 100 करोड़ रुपये (लगभग 13.5 मिलियन डॉलर) से अधिक होने का अनुमान है।

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
पुष्पक मिशन का नाम प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण के पौराणिक अंतरिक्ष यान के नाम पर रखा गया था।
भारतीय वायु सेना ने पुष्पक आरएलवी को वांछित ऊंचाई तक उठाने के लिए चिनूक हेलीकॉप्टर प्रदान करके मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पुष्पक आरएलवी में एक्स-33, एक्स-34 और उन्नत डीसी-एक्सए सहित कई प्रौद्योगिकी प्रदर्शकों के उन्नत तत्व शामिल हैं।

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