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एसएंडपी ने भारत की FY25 जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.8% पर बरकरार रखा; आरबीआई से कम अनुमान

एसएंडपी ने भारत की FY25 जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.8% पर बरकरार रखा; आरबीआई से कम अनुमान

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने वित्तीय वर्ष 2025 (FY25) के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.8% पर बरकरार रखा है। यह अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुमान से कम है, जिसने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में 7% जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया था। एसएंडपी के इस अनुमान को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक आर्थिक स्थितियों और घरेलू चुनौतियों को देखते हुए भारत की आर्थिक वृद्धि के प्रति सतर्कता बनी हुई है।

एसएंडपी का दृष्टिकोण

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपने नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत घरेलू मांग और निर्यात में सुधार के कारण अच्छी वृद्धि दर बनाए रखेगी। हालांकि, वैश्विक मंदी और वित्तीय अस्थिरता जैसे कारक विकास दर को प्रभावित कर सकते हैं। एसएंडपी ने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत हैं, लेकिन इसे स्थायी बनाने के लिए नीतिगत समर्थन और संरचनात्मक सुधार आवश्यक हैं।

आरबीआई का दृष्टिकोण

दूसरी ओर, आरबीआई का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज़ी से वृद्धि होने की संभावना है, मुख्यतः घरेलू उपभोग और निवेश में वृद्धि के कारण। आरबीआई ने अपने अनुमान में कहा कि सरकारी नीतियों और प्रोत्साहन पैकेजों का सकारात्मक प्रभाव जीडीपी वृद्धि पर पड़ेगा। आरबीआई ने यह भी संकेत दिया कि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए कड़े मौद्रिक नीतियों का पालन किया जाएगा, जो आर्थिक वृद्धि को संतुलित करने में मदद करेगा।

वैश्विक और घरेलू चुनौतियाँ

दोनों एसएंडपी और आरबीआई ने अपने-अपने विश्लेषण में वैश्विक और घरेलू चुनौतियों का उल्लेख किया है। वैश्विक स्तर पर, आर्थिक मंदी, व्यापारिक तनाव, और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान जैसे कारक भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। घरेलू मोर्चे पर, रोजगार सृजन, कृषि क्षेत्र में सुधार, और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

हालांकि एसएंडपी और आरबीआई के अनुमानों में थोड़ा अंतर है, दोनों इस बात पर सहमत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि की संभावनाएँ प्रबल हैं। नीतिगत समर्थन, संरचनात्मक सुधार, और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के अनुकूलन से भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। आने वाले वर्षों में, यदि भारत इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर पाता है, तो यह अनुमानित वृद्धि दर को भी पार कर सकता है।

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