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देश में 80% सीमांत किसान झेल रहे जलवायु परिवर्तन की मार, गंवा देते हैं खड़ी फसलें, देखिए सर्वे के ये आंकड़े

देश में 80% सीमांत किसान झेल रहे जलवायु परिवर्तन की मार, गंवा देते हैं खड़ी फसलें, देखिए सर्वे के ये आंकड़े

जलवायु परिवर्तन आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, और इसका प्रभाव भारत के किसानों पर गहरा असर डाल रहा है। विशेष रूप से सीमांत किसान, जिनकी संख्या देश के कुल किसानों में लगभग 80% है, जलवायु परिवर्तन के कारण भारी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन के चलते इन किसानों की खड़ी फसलें नष्ट हो रही हैं, जिससे उनकी आजीविका पर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।

सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष

1. फसल हानि की दर में वृद्धि

सर्वेक्षण के अनुसार, 80% सीमांत किसान अपनी खड़ी फसलों को जलवायु परिवर्तन के कारण खो रहे हैं। असमय वर्षा, सूखा, बाढ़ और अत्यधिक तापमान जैसी चरम मौसम घटनाओं के कारण फसल हानि में वृद्धि हुई है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है और उनकी जीविका पर संकट गहरा रहा है।

2. आर्थिक असुरक्षा

फसल हानि के कारण सीमांत किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो गई है। उनके पास अपने परिवार के लिए पर्याप्त भोजन और आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संसाधन नहीं बचे हैं। इससे उनके जीवन स्तर में गिरावट आई है और गरीबी बढ़ी है।

3. कर्ज का बोझ

फसल हानि के चलते कई किसान अपने जीविकोपार्जन के लिए कर्ज लेने पर मजबूर हो गए हैं। यह कर्ज अक्सर ऊंची ब्याज दरों पर लिया जाता है, जिससे किसानों का कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। कर्ज चुकाने में असमर्थता के कारण कई किसान आत्महत्या जैसे कृत्य करने को मजबूर हो रहे हैं।

4. मौसम पूर्वानुमान की कमी

सीमांत किसानों के पास आधुनिक तकनीक और मौसम पूर्वानुमान की जानकारी का अभाव है। वे पारंपरिक तरीकों पर निर्भर रहते हैं, जिससे वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने के लिए उचित कदम नहीं उठा पाते। इसका परिणाम यह होता है कि फसलों का नुकसान और भी बढ़ जाता है।

समाधान और सुझाव

1. सिंचाई सुविधाओं में सुधार

सरकार को किसानों के लिए बेहतर सिंचाई सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए। सूखा और अनियमित बारिश से निपटने के लिए सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों और जल संरक्षण तकनीकों को बढ़ावा देना आवश्यक है।

2. जलवायु-लचीली फसलें

किसानों को जलवायु-लचीली फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। ऐसे बीज और पौधे जो चरम मौसम स्थितियों का सामना कर सकें, उन्हें अपनाने से फसल हानि को कम किया जा सकता है।

3. मौसम पूर्वानुमान और सूचना प्रणाली

किसानों को आधुनिक तकनीक और मौसम पूर्वानुमान की जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। इससे वे सही समय पर सही फैसले ले सकेंगे और फसल हानि को कम कर सकेंगे।

4. कर्ज राहत और वित्तीय सहायता

सरकार को किसानों के लिए कर्ज राहत योजनाएं लागू करनी चाहिए। इसके अलावा, उन्हें सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज और वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकें।

5. शिक्षा और प्रशिक्षण

किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उससे निपटने के तरीकों के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है। उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों और जलवायु-स्मार्ट कृषि विधियों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत के 80% सीमांत किसान जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे हैं, और इसका प्रभाव उनकी जीविका और आर्थिक स्थिति पर गंभीर रूप से पड़ रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार, गैर-सरकारी संगठन, और समाज को मिलकर प्रयास करना होगा। किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधाएं, जलवायु-लचीली फसलें, मौसम पूर्वानुमान, कर्ज राहत, और शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करके ही इस चुनौती का समाधान किया जा सकता है। इससे न केवल किसानों की स्थिति में सुधार होगा बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी।

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