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विज्ञान और प्रौद्योगिकी की होगी 21वीं सदी, विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए इस मार्ग पर चलना जरूरी: PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि 21वीं सदी विज्ञान और प्रौद्योगिकी की होगी और अगर भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है, तो हमें इस मार्ग पर मजबूती से आगे बढ़ना होगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देना समय की मांग है, और प्रधानमंत्री ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल करने का आग्रह किया है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व

विज्ञान और प्रौद्योगिकी किसी भी देश की प्रगति और विकास के प्रमुख आधार होते हैं। इससे न केवल आर्थिक विकास होता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलता है। भारत, जो एक विशाल और विविधता से भरा देश है, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़कर विश्व के अग्रणी देशों में शामिल हो सकता है।

शिक्षा और अनुसंधान

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शिक्षा और अनुसंधान में निवेश करना अत्यंत आवश्यक है। भारत के विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाना होगा। नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना होगा। इससे हमारे युवा वैज्ञानिक और शोधकर्ता नई खोज और आविष्कार करने में सक्षम होंगे।

डिजिटल इंडिया

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री ने देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की योजना बनाई है। डिजिटल क्रांति से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक अवसरों की पहुंच बढ़ी है। इससे गांव-गांव में इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं का विस्तार हुआ है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास की गति तेज हुई है।

नवाचार और स्टार्टअप

भारत में स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टार्टअप्स को तकनीकी नवाचार में अग्रणी भूमिका निभानी होगी और इसके लिए उन्हें हर संभव समर्थन दिया जाएगा।

स्वास्थ्य और जैव प्रौद्योगिकी

स्वास्थ्य और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व बढ़ रहा है। COVID-19 महामारी ने यह दिखाया कि चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य तकनीक कितनी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र में अधिक निवेश और अनुसंधान की आवश्यकता पर जोर दिया।

ऊर्जा और पर्यावरण

पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग अनिवार्य है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का अधिकतम उपयोग करना होगा और पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों को विकसित करना होगा।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण है कि 21वीं सदी विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सदी होगी, और यह भारत के विकास के लिए एक अनिवार्य मार्ग है। शिक्षा, अनुसंधान, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप्स, स्वास्थ्य, और पर्यावरण के क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ही हम एक विकसित भारत का सपना साकार कर सकते हैं। यह समय है कि हम मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाएं और अपने देश को वैश्विक मंच पर एक नई ऊंचाई पर ले जाएं।

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