Uncategorized

भारत यूएनएससी की वर्तमान वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करने वाली कार्रवाइयों पर सावधानी बरतने को कहता है

भारत यूएनएससी की वर्तमान वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करने वाली कार्रवाइयों पर सावधानी बरतने को कहता है

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखने के उद्देश्य से बनाई गई थी। हालांकि, भारत ने हाल ही में यूएनएससी की कार्रवाइयों पर चिंता व्यक्त की है, जो कि वर्तमान वैश्विक वास्तविकताओं का सही ढंग से प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं।

भारत का मानना है कि यूएनएससी का वर्तमान ढांचा और उसकी कार्यप्रणाली पुरानी हो चुकी है और यह वर्तमान समय की चुनौतियों और अवसरों के साथ तालमेल नहीं खाती। भारत ने जोर देकर कहा है कि यूएनएससी की संरचना और उसके निर्णय प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता है ताकि यह अधिक प्रतिनिधित्वशील और पारदर्शी बन सके।

यूएनएससी में केवल पांच स्थायी सदस्य (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, और यूनाइटेड किंगडम) हैं, जिन्हें वीटो पावर प्राप्त है। यह स्थिति द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की वास्तविकताओं को दर्शाती है, लेकिन आज के समय में यह संरचना विश्व की भू-राजनीतिक परिस्थितियों का सही चित्रण नहीं करती। भारत, जो विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक देश है और एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति है, का मानना है कि इसे और अन्य विकासशील देशों को भी यूएनएससी में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।

भारत ने यह भी कहा है कि यूएनएससी की कार्रवाइयों में पारदर्शिता की कमी है और कई बार इसके निर्णयों में प्रभावशाली सदस्यों के व्यक्तिगत हित प्रकट होते हैं। यह स्थिति विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति यूएनएससी की प्रतिबद्धता को कमजोर करती है।

भारत ने जोर देकर कहा है कि यूएनएससी को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाना चाहिए और अधिक समावेशी बनना चाहिए। इससे न केवल विश्व की विभिन्न देशों की आकांक्षाओं का सम्मान होगा बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि यूएनएससी के निर्णय अधिक न्यायसंगत और तर्कसंगत हों।

यूएनएससी की संरचना में सुधार के लिए भारत ने कई बार अपील की है और इस दिशा में अन्य विकासशील देशों का समर्थन भी प्राप्त किया है। यह समय की मांग है कि यूएनएससी वर्तमान वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी भूमिका और संरचना में सुधार लाए, ताकि यह विश्व शांति और सुरक्षा की दिशा में अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सके।

भारत की यह अपील न केवल उसके स्वयं के हितों की पूर्ति के लिए है, बल्कि यह विश्व के समग्र हितों की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यूएनएससी को आज के समय की चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को अपडेट करना आवश्यक है, और इसके लिए भारत की प्रस्तावित सुधार आवश्यक हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button