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Kandahar Controversy: क्या था ‘IC814 हाईजैक’? क्यों भारत सरकार को छोड़ने पड़े थे तीन खूंखार आतंकी?

कंधार विवाद: क्या था ‘IC814 हाईजैक’? क्यों भारत सरकार को छोड़ने पड़े थे तीन खूंखार आतंकवादी?

परिचय

1999 में भारत ने एक बेहद चुनौतीपूर्ण और विवादास्पद स्थिति का सामना किया, जिसे ‘IC814 हाईजैक’ के नाम से जाना जाता है। यह घटना भारतीय और वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर परीक्षा साबित हुई। इस लेख में हम इस हाईजैक की पूरी कहानी, उसके कारण, और उसके परिणामों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, विशेष रूप से इस पर कि क्यों भारत सरकार को तीन खूंखार आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा।

IC814 हाईजैक का घटनाक्रम

घटना का विवरण

24 दिसंबर 1999 को भारतीय एयरलाइंस की उड़ान IC814, जो काठमांडू से दिल्ली आ रही थी, का अपहरण कर लिया गया। इस विमान में कुल 189 लोग सवार थे। अपहरणकर्ताओं ने विमान को पहले अमृतसर और फिर लाहौर की दिशा में उड़ाया, लेकिन बाद में विमान को कंधार, अफगानिस्तान की ओर मोड़ दिया।

अपहरणकर्ताओं के लक्ष्य

अपहरणकर्ताओं ने विमान की पूरी यात्रा के दौरान भारतीय सरकार पर दबाव डालने की कोशिश की। उन्होंने भारतीय सरकार से अपने तीन साथियों को रिहा करने की मांग की, जो भारतीय जेलों में बंद थे। ये आतंकवादी एक धार्मिक उग्रवादी संगठन के सदस्य थे और भारतीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा माने जाते थे।

भारत सरकार की चुनौतियाँ और निर्णय

संकट की स्थिति

जब IC814 कंधार में उतर गया, तो भारतीय सरकार ने संकट को सुलझाने के लिए सभी संभावित उपाय किए। विमान के यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, सरकार ने आतंकवादियों की मांगों पर विचार करना शुरू किया। इस स्थिति में सरकार के सामने एक गंभीर दुविधा थी— क्या उन्हें आतंकवादियों की मांगें माननी चाहिए या फिर यात्रियों की जान को खतरे में डालना चाहिए?

आतंकवादियों की मांगें

आतंकवादियों ने अपनी मांगों में प्रमुख रूप से तीन खूंखार आतंकवादियों की रिहाई की मांग की। ये आतंकवादी थे:

  1. मौलाना मसूद अजहर: जो कि जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक थे और कई आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार थे।
  2. अब्दुल रऊफ असगर: जो कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के साथ जुड़ा हुआ था।
  3. अहमद उमर सईद शेख: जो कि कई आतंकवादी गतिविधियों और अपहरण के मामलों में शामिल था।

रिहाई का निर्णय

जवाब में, भारत सरकार ने आपातकालीन स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, आतंकवादियों की रिहाई का निर्णय लिया। 31 दिसंबर 1999 को, इन तीन आतंकवादियों को भारतीय जेल से रिहा कर दिया गया और उनके बदले में विमान के यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया।

उपलब्धियाँ और प्रतिक्रियाएँ

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस निर्णय की भारत में और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत mixed प्रतिक्रियाएँ थीं। कई लोगों ने सरकार के फैसले को मजबूरी की सूरत में लिया और यात्रियों की जान बचाने के लिए इसे सही ठहराया। वहीं, कुछ लोगों ने इसे आतंकवादियों के सामने झुकने के रूप में देखा और इसके दूरगामी प्रभावों पर चिंता जताई।

आतंकवादियों के प्रभाव

इन आतंकवादियों की रिहाई के बाद, भारतीय सुरक्षा बलों को और भी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। इन आतंकवादियों ने आगे चलकर भारत में और भी कई आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा।

निष्कर्ष

IC814 हाईजैक एक ऐसी घटना थी जिसने भारत सरकार को एक कठिन स्थिति में डाल दिया। यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए सरकार ने आतंकवादियों की रिहाई का निर्णय लिया। यह निर्णय आज भी विवाद का विषय है और विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा जाता है। इस घटना ने न केवल भारतीय सुरक्षा नीति को प्रभावित किया बल्कि पूरे विश्व में आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा रणनीतियों पर भी सवाल उठाए। यह एक कठिन निर्णय था, जो भारत की सुरक्षा और आतंकवाद से जूझने की क्षमता को उजागर करता है।

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