PM Modi ने वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर जहां की गंगा आरती, उस जगह का कैसे पड़ा ये नाम, हैरान रह जाएंगे!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपनी वाराणसी यात्रा के दौरान विशेष रूप से दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का दर्शन किया। इस प्रसिद्ध घाट का नाम कैसे पड़ा, इसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे!
वाराणसी, जो की भारतीय सभ्यता और संस्कृति के प्राचीनतम केंद्रों में से एक है, गंगा नदी के किनारे स्थित है। यहां के घाट न केवल धार्मिक महत्व के केंद्र हैं, बल्कि ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं में भी एक विशेष स्थान रखते हैं। इनमें से एक है दशाश्वमेध घाट, जो अपने नाम से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दशाश्वमेध घाट का इतिहास
दशाश्वमेध घाट का नाम प्राचीन भारतीय धर्मशास्त्रों और पुराणों से जुड़ा हुआ है। यहां कई प्राचीन कथाएं जुड़ी हैं, जिसमें एक प्रमुख कथा है राजा दशरथ की अश्वमेध यज्ञ की। इस कार्यक्रम के दौरान, भगवान श्रीराम ने यज्ञ किया था और इसे सफलतापूर्वक पूरा किया था। इस प्रकार, घाट का नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा, जिसका मतलब है ‘अश्वमेध यज्ञ का घाट’।
वाराणसी के धार्मिक महत्व
वाराणसी या काशी, हिंदू धर्म के तीर्थ स्थलों में श्रेणीबद्ध है। यहां के घाटों पर गंगा आरती का दर्शन करना और गंगा स्नान करना हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक और श्रद्धालु यहां आते हैं और अपने आत्मिक शांति और मोक्ष के लिए प्रार्थना करते हैं।
PM मोदी का दशाश्वमेध घाट पर दर्शन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हाल ही में अपने कार्यक्रम के दौरान वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का दर्शन किया। यह उनके धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्शों के प्रति उनकी विशेष समर्पण को दर्शाता है। उनके द्वारा किये गए इस आदर्श कार्य के माध्यम से, वे भारतीय संस्कृति और तत्वों के प्रति अपनी गहरी समर्पणा को प्रकट करते हैं।
सारांश
वाराणसी का दशाश्वमेध घाट भारतीय संस्कृति के एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस स्थल पर आगमन से इसे एक और बार से सार्थकता और महत्व मिला है। यह स्थान भारतीय धार्मिकता और संस्कृति के आधारभूत प्रतीक के रूप में अविरल रहा है और भव्यता से अपना समर्थन प्रदान कर रहा है।