यूके समिति ने ग्रेजुएट रूट वीज़ा को अपरिवर्तित रखने की सलाह दी
ब्रिटेन की एक महत्वपूर्ण समिति ने हाल ही में सुझाव दिया है कि ग्रेजुएट रूट वीज़ा में कोई परिवर्तन न किया जाए। यह वीज़ा प्रणाली अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को ब्रिटेन में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद दो साल तक रहने और काम करने की अनुमति देती है, जिससे उन्हें अपने कैरियर की संभावनाओं को बढ़ावा देने का अवसर मिलता है।
समिति के अनुसार, ग्रेजुएट रूट वीज़ा न केवल छात्रों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह यूके की अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है। अंतर्राष्ट्रीय छात्र न केवल उच्च शिक्षण संस्थानों में शुल्क का योगदान करते हैं, बल्कि वे स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी विभिन्न तरीकों से योगदान करते हैं, जैसे कि किराये के मकान, स्थानीय व्यवसायों में खर्च और अन्य सेवाओं का उपयोग।
वर्तमान में, ब्रिटेन की सरकार विभिन्न क्षेत्रों में आप्रवासन नीतियों की समीक्षा कर रही है, और इसके तहत ग्रेजुएट रूट वीज़ा को भी जांचा जा रहा है। लेकिन समिति का मानना है कि इस वीज़ा में बदलाव करने से ब्रिटेन की शिक्षा प्रणाली और अर्थव्यवस्था दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
समिति ने अपने विश्लेषण में यह भी बताया कि अन्य देशों के मुकाबले, ब्रिटेन के ग्रेजुएट रूट वीज़ा प्रणाली अधिक आकर्षक और प्रतिस्पर्धी है। यह वीज़ा प्रणाली अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को ब्रिटेन में पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे ब्रिटेन की विश्वविद्यालयों में विविधता और समृद्धि बढ़ती है।
अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के ब्रिटेन आने से यहां की शिक्षा और अनुसंधान गुणवत्ता में भी सुधार होता है। ये छात्र अपने विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षिक पृष्ठभूमि के साथ नए दृष्टिकोण और विचार लाते हैं, जो शिक्षण और अनुसंधान को और अधिक समृद्ध बनाते हैं।
समिति के सुझावों के मुताबिक, अगर सरकार इस वीज़ा प्रणाली को अपरिवर्तित रखती है, तो यह न केवल अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि ब्रिटेन की वैश्विक प्रतिष्ठा को भी मजबूती मिलेगी।
सरकार का अंतिम निर्णय चाहे जो भी हो, यह स्पष्ट है कि ग्रेजुएट रूट वीज़ा प्रणाली ने अब तक सकारात्मक प्रभाव डाला है और इसे जारी रखना कई दृष्टिकोण से लाभकारी हो सकता है। यूके समिति की सिफारिशें इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन पर क्या प्रतिक्रिया देती है।