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प्रधानमंत्री मोदी ने आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम मंदिर में अर्चना की, पहाड़ों के बीच स्थित यह प्राचीन तीर्थ स्थल

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध श्रीशैलम मंदिर में पूजा-अर्चना की। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और भारत के दक्षिणी भाग में आध्यात्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है।

श्रीशैलम मंदिर का परिचय

श्रीशैलम मंदिर आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में नंदीग्राम नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर पहाड़ों की घाटी में स्थित है और प्रकृति के सन्नाटे में डूबा हुआ है, जो भक्तों को शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। इसे एक शक्तिपीठ भी माना जाता है, क्योंकि यहां माता पार्वती और भगवान शिव दोनों की उपस्थिति का महत्व है।

मंदिर की स्थापत्य कला अत्यंत प्राचीन और भव्य है। पत्थर की नक्काशियां, विशाल गेटवे (गोपुरम), और मूर्तिकला इस मंदिर की विशिष्टता हैं। यह मंदिर सात मंजिलों वाला है, जिसमें हर मंजिल पर भगवान शिव और अन्य देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।

श्रीशैलम मंदिर का एक खास आकर्षण यहां का पवित्र जलधारा भी है, जिसे लोग विशेष रूप से स्नान के लिए उपयोग करते हैं क्योंकि इसे पवित्र माना जाता है। मंदिर के आसपास का प्राकृतिक दृश्य, हरे-भरे जंगल और पहाड़ इसे एक पर्यटक और श्रद्धालुओं के लिए आदर्श स्थल बनाते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की पूजा-अर्चना

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पवित्र स्थल पर जाकर गहन श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान की पूजा-अर्चना की। उनका यह आध्यात्मिक प्रवास केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण और जनकल्याण की भावना का प्रतीक भी था। पूजा के दौरान उन्होंने देशवासियों के सुख, शांति, समृद्धि और एकता के लिए प्रार्थना की — यह प्रार्थना उस नेतृत्व दृष्टिकोण को दर्शाती है जिसमें आध्यात्मिक मूल्यों और राष्ट्रीय उत्तरदायित्व का सुंदर संगम है।

प्रधान मंत्री की यह प्रेरणादायक पहल न केवल करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करती है, बल्कि यह भारत की गहरी सांस्कृतिक आत्मा और आधुनिक शासन की अद्भुत समरसता का प्रतीक भी बन गई है। यह कदम दर्शाता है कि जब नेतृत्व जनभावनाओं, परंपराओं और संस्कृति से जुड़ता है, तो वह केवल नीतियों का नहीं, बल्कि राष्ट्र के हृदय का नेतृत्व करता है। यह पहल सामाजिक सौहार्द, सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रीय गौरव को नई ऊर्जा देने वाला एक उज्ज्वल उदाहरण है।

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