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Kandahar Hijack: काठमांडू नहीं मुंबई से प्लेन हाइजैक की थी साजिश, वाजपेयी निशाने पर 1999 विमान अपहरण की इनसाइड स्टोरी

Kandahar Hijack: काठमांडू नहीं, मुंबई से प्लेन हाइजैक की थी साजिश, वाजपेयी निशाने पर – 1999 विमान अपहरण की इनसाइड स्टोरी

1999 का कंधार हाइजैक (Kandahar Hijack) भारत के इतिहास में एक ऐसा वाकया है जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को गहरे तरीके से प्रभावित किया। इस घटना ने न केवल भारतीय सुरक्षा व्यवस्था की चुनौतियों को उजागर किया, बल्कि उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी मुश्किल स्थिति में डाल दिया। अब इस घटना की नई जानकारी सामने आ रही है, जो बताती है कि कंधार हाइजैक की साजिश काठमांडू से नहीं बल्कि मुंबई से की गई थी।

घटना की पृष्ठभूमि

24 दिसंबर 1999 को, भारतीय एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को आतंकवादियों ने हाइजैक कर लिया था। विमान ने काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन उसे काठमांडू से ही हाइजैक कर लिया गया। आतंकवादियों ने विमान को पहले अमृतसर, फिर लाहौर और अंततः कंधार (अफगानिस्तान) ले जाकर अपहृत किया। इस घटना के दौरान यात्रियों की सुरक्षा और उनके जीवन को लेकर व्यापक चिंताएँ थीं।

नई खुलासे: साजिश मुंबई से थी

हाल ही में सामने आई जानकारी के अनुसार, कंधार हाइजैक की साजिश काठमांडू में नहीं बल्कि मुंबई में रची गई थी। यह नई जानकारी यह दर्शाती है कि आतंकवादी योजना के अनुसार विमान को काठमांडू से हाइजैक कर नहीं, बल्कि पहले मुंबई में स्थित एक संगठन द्वारा यह योजना बनाई गई थी।

  • मुंबई कनेक्शन: जांच रिपोर्टों और विशेषज्ञों के अनुसार, मुंबई में स्थित कुछ आतंकी समूहों ने कंधार हाइजैक की योजना को तैयार किया। इन समूहों ने भारतीय सुरक्षा को चुनौती देने के लिए इस घटना को अंजाम देने का निर्णय लिया।
  • आतंकी नेटवर्क: मुंबई में एक नेटवर्क सक्रिय था, जो अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के संपर्क में था और इस प्रकार की जघन्य योजनाओं को अंजाम देने के लिए काम कर रहा था। इस नेटवर्क ने कंधार हाइजैक की योजना को पूरी तरह से खुफिया तरीके से अंजाम दिया।

वाजपेयी पर दबाव और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

कंधार हाइजैक की घटना के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार पर भारी दबाव था। आतंकवादियों ने भारतीय सरकार को धमकाया और इसके बदले तीन आतंकवादियों को रिहा करने की मांग की।

  • रिहाई के निर्णय: इस कठिन परिस्थिति में, वाजपेयी सरकार ने आतंकवादियों की मांगों को मान लिया और 1999 के अंत में तीन आतंकवादियों को रिहा किया। इस निर्णय ने भारतीय राजनीति में एक बड़ा विवाद खड़ा किया और वाजपेयी सरकार की आलोचना की गई।
  • सुरक्षा मुद्दे: इस घटना ने भारतीय सुरक्षा व्यवस्था में कई खामियों को उजागर किया। हाइजैक की साजिश की योजना और उसकी कार्यान्वयन प्रक्रिया में कई सुरक्षा चूक देखने को मिलीं।

कंधार हाइजैक के परिणाम

  1. आतंकवादियों की प्रभाविता: कंधार हाइजैक की घटना ने यह साबित किया कि आतंकवादी संगठन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने नापाक इरादों को पूरा करने में सक्षम हैं।
  2. सुरक्षा व्यवस्था में सुधार: इस घटना के बाद भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए, जिसमें हवाई सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई।
  3. राजनीतिक प्रभाव: कंधार हाइजैक ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया, जिससे सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ नीति निर्धारण में बदलाव हुआ।

निष्कर्ष

1999 का कंधार हाइजैक एक ऐसा घटना है जिसने भारतीय सुरक्षा, राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को गहराई से प्रभावित किया। नई जानकारी के अनुसार, इस साजिश की शुरुआत मुंबई से हुई थी, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को इस संकट का सामना करते हुए कई कठिन निर्णय लेने पड़े, जो भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गए। इस घटना ने भारतीय सुरक्षा प्रणाली और आतंकवाद से लड़ने की नीतियों को नई दिशा दी।

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