✊ डॉ. राममनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि — विचार, संघर्ष और विज़न की मिसाल

आज 12 अक्टूबर को देश समाजवादी आंदोलन के महानायक डॉ. राममनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा से याद कर रहा है। वे एक ऐसे विचारक, क्रांतिकारी और राजनीतिक संत थे, जिन्होंने भारत की राजनीति को न सिर्फ दिशा दी, बल्कि उसे जनता से जोड़ने का काम किया।
👤 संक्षिप्त जीवन परिचय
- जन्म: 23 मार्च 1910, फैजाबाद (अब अयोध्या), उत्तर प्रदेश
- मृत्यु: 12 अक्टूबर 1967, नई दिल्ली
- शिक्षा: कोलकाता विश्वविद्यालय और जर्मनी के बर्लिन विश्वविद्यालय से राजनीति और अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट
- राजनीतिक विचारधारा: समाजवाद, समानता, ग्रामीण विकास, राष्ट्रवाद और सामाजिक न्याय
🧠 लोहिया के प्रमुख विचार और दर्शन
. ✊ संपूर्ण सामाजिक न्याय
लोहिया मानते थे कि सिर्फ आर्थिक बराबरी से समाज नहीं बदल सकता, जाति, लिंग और भाषा के आधार पर भी न्याय जरूरी है। उन्होंने “पिछड़ों को पचास प्रतिशत” आरक्षण की बात कही थी।
. 🇮🇳 भारतीय समाजवाद
उनका समाजवाद मार्क्सवाद से अलग था — वे भारतीय संस्कृति, गांवों और आत्मनिर्भरता को समाजवादी ढांचे का मूल मानते थे।
. 👩🌾 गांव, किसान और महिला सशक्तिकरण
लोहिया जी का कहना था: “भारत की आत्मा गांव में बसती है।”
उन्होंने महिला अधिकारों की भी जोरदार वकालत की — वे महिलाओं को राजनीति, शिक्षा और नौकरी में बराबर भागीदारी के पक्षधर थे।
📣 राजनीतिक विज़न: वैकल्पिक राजनीति की खोज
- वे चाहते थे कि कांग्रेस के विकल्प के रूप में एक विचारधारात्मक, जनसमर्थक और लोकशाही आधारित गठबंधन खड़ा हो।
- उन्होंने गठबंधन की राजनीति (coalition politics) का मार्ग प्रशस्त किया, जिसे बाद में कई क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टियों ने अपनाया।
- लोहिया ने चुनाव सुधार, हिंदी भाषा के प्रचार की भी वकालत की।
🏛️ प्रभाव और विरासत
- डॉ. लोहिया की विचारधारा ने जयप्रकाश नारायण, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं को गढ़ा।
- आज भी भारत में समाजवादी राजनीति उन्हीं के विचारों की नींव पर खड़ी है।
- उन्होंने राजनीति को सिद्धांतों की ज़मीन पर खड़ा करने की प्रेरणा दी — जिसमें सत्ता नहीं, सेवा और संघर्ष का भाव था।
🙏 पुण्यतिथि पर नमन
“Carpe diem.-Enjoy the present and don’t worry about the future“
आज जब भारतीय लोकतंत्र फिर से नई दिशा की तलाश में है, तब लोहिया के विचार और संघर्ष और भी प्रासंगिक हो गए हैं। उनकी पुण्यतिथि पर यही संकल्प लें कि हम विचार की राजनीति, जन की राजनीति और न्याय की राजनीति को फिर से मजबूत करें।
डॉ. राममनोहर लोहिया को विनम्र श्रद्धांजलि।
